श्री चंडी माता मंदिर ट्रस्ट

धार्मिक एवं सामाजिक सेवा में समर्पित श्री चंडी माता मंदिर ट्रस्ट, घुंचापाली, बागबाहरा छत्तीसगढ़ में स्थित मंदिर के प्रबंधन, धार्मिक गतिविधियों और सामाजिक कार्यों की देखरेख करता है। हमारा लक्ष्य है माँ चंडी के आशीर्वाद से समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों का प्रसार करना और सामाजिक कल्याण के लिए कार्य करना।

ट्रस्ट की संक्षिप्त जानकारी

समर्पण और भक्ति की वह कहानी जिसने चंडी माता घुचापाली मंदिर ट्रस्ट के गठन का मार्ग प्रशस्त किया

Trust Foundation

समिति से ट्रस्ट की यात्रा

तंत्रोक्त प्रसिद्ध उड्‌डीश शक्ति पीठ श्री चंडी माता मंदिर घुचापाली गांव से लगी पहाड़ी शृंखला पर स्थित है। मां चंडी की पाषाण प्रतिमा प्राकृतिक रूप से निर्मित है। प्रतिमा की ऊंचाई 23 फीट से ज्यादा है। माना जाता है कि यह पूरे विश्व में मां चंडी की एकमात्र स्वयं निर्मित और दक्षिणमुखी विशाल पाषाण प्रतिमा है। मां चंडी की प्रतिमा के संदर्भ में जनश्रुति है कि यह आदि और पौराणिक काल से इस पहाड़ी पर विराजित है। वर्ष 1900 और उसके पहले श्रीचंडी माता की पूजा अर्चना तंत्रोक्त पद्धति से संपन्न होता रहा है। माता सुअरमाल जमींदारी की आराध्य देवी रहीं हैं। आदि और पौराणिक काल से यहां अलग-अलग पद्धतियों से मां की सेवा और पूजा किए जाने का वर्णन है। श्रीचंडी माता की वैदिक रीति से पूजा वर्ष 1950 से शुरू हुई। शुरुआत में एक छोटे से मंदिर से आरंभ यह यात्रा आज एक विशाल परिसर और बड़े तीर्थस्थल तक पहुंची है। मंदिर की व्यवस्था का संचालन 1992 से संचालित श्रीचंडी माता मंदिर समिति के माध्यम से किया जाता रहा है। श्री चंडी माता मंदिर ट्रस्ट की स्थापना वर्ष 2020 में हुई। ट्रस्ट और समिति संचालन के पहले मंदिर में पूजा और अन्य जरूरी व्यवस्था बागबाहरा और घुचापाली के धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों से जुड़े वरिष्ठ जनों के मार्गदर्शन में किया जाता रहा है।

समय के साथ ट्रस्ट ने अनेक चुनौतियों का सामना किया और अपने संसाधनों का अधिकतम उपयोग करके मंदिर को मौजूदा स्थिति तक पहुंचाया है। ट्रस्ट ने मंदिर के विकास के साथ-साथ अनेक सामाजिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया है, जिससे स्थानीय समुदाय को लाभ पहुंचा है।

1900

तंत्रोक्त साधना का केंद्र

श्रीचंडी माता, सुअरमाल जमींदारी की आराध्य और शक्ति साधना की देवी रही, उनकी यहां तंत्रोक्त पद्धति से पूजा की जाती थी। तंत्रोक्त साधना से पूजा के समय यहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित था।

1950

वैदिक पद्धति से पूजा

बागबाहरा के श्री साखाराम साव और नागरिकों ने पं. चंद्रशेखर मिश्रा की पुरोहिती में पहली बार शतचंडी यज्ञ के माध्यम से वैदिक पद्धति की पूजा प्रारंभ करवाई।नवरात्र के मौके पर मड़ई-मेला की शुरुआत हुई तथा महिलाओ ने भी दर्शन पूजन प्रारम्भ किया।

1992

मंदिर समिति का गठन

व्यवस्था संचालन के लिए बागबाहरा और घुंचापाली के वरिष्ठ श्रद्धालुओं ने समिति गठन कर गतिविधियों को आगे बढ़ाना शुरू किया।

2020

मंदिर ट्रस्ट का गठन

मंदिर समिति को कानूनी रूप देते हुए गतिविधियों को भव्य और आधुनिक बनाने छत्तीसगढ़ शासन से पंजीकृत ट्रस्ट का गठन किया गया।

ट्रस्ट के संस्थापक

उन समर्पित व्यक्तियों से मिलें जो मंदिर के संचालन का प्रबंधन करते हैं और हमारे संस्थापकों के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हैं

याज्ञिक सम्राट चैतन्य स्वामी श्री अग्निशिखा जी महाराज

याज्ञिक सम्राट चैतन्य स्वामी श्री अग्निशिखा जी महाराज

मुख्य संरक्षक

श्री निरंजन अग्रवाल

श्री निरंजन अग्रवाल

संरक्षक

श्री द्वारिकाधीश यादव

श्री द्वारिकाधीश यादव

विधायक एवं पदेन संरक्षक

श्री नीलकंठ चंद्राकर

श्री नीलकंठ चंद्राकर

अध्यक्ष

श्री सिकंदर सिंह ठाकुर

श्री सिकंदर सिंह ठाकुर

उपाध्यक्ष

श्री रमेश चंद्राकर

श्री रमेश चंद्राकर

उपाध्यक्ष

श्री पुष्कर चंद्राकर

श्री पुष्कर चंद्राकर

कनिष्ठ उपाध्यक्ष

श्री दानवीर शर्मा

श्री दानवीर शर्मा

सचिव

श्री गणेश चंद्राकर

श्री गणेश चंद्राकर

सह-सचिव

श्री पोखराज साहू

श्री पोखराज साहू

सह-सचिव

श्री मन्नू चंद्राकर

श्री मन्नू चंद्राकर

सह-सचिव

श्री नंदकुमार चंद्राकर

श्री नंदकुमार चंद्राकर

कोशा अध्यक्ष

श्री रामजी तिवारी

श्री रामजी तिवारी

उप कोषाध्यक्ष

श्री लालचंद जैन

श्री लालचंद जैन

सदस्य

श्री प्रकाश शुक्ला

श्री प्रकाश शुक्ला

सदस्य

श्री शंकरलाल  चंद्राकर

श्री शंकरलाल चंद्राकर

सदस्य

श्री प्रेमलाल चंद्राकर

श्री प्रेमलाल चंद्राकर

सदस्य

श्री महावीर चंद जैन

श्री महावीर चंद जैन

सदस्य

श्री राजनारायण शुक्ला

श्री राजनारायण शुक्ला

सदस्य

श्री जोगेन्द्र सिंह

श्री जोगेन्द्र सिंह

सदस्य

श्री पुनम चंद ओझा

श्री पुनम चंद ओझा

सदस्य

श्री चुलेश्वर चौहान

श्री चुलेश्वर चौहान

सदस्य

श्री गणेश राम चंद्राकर

श्री गणेश राम चंद्राकर

सदस्य

श्री करण सिंह ठाकुर

श्री करण सिंह ठाकुर

सदस्य

श्री पुरुषोत्तम ओझा

श्री पुरुषोत्तम ओझा

सदस्य

श्री बिसाहू राम विश्वकर्मा

श्री बिसाहू राम विश्वकर्मा

सदस्य

श्री हरिराम देवांगन

श्री हरिराम देवांगन

सदस्य

श्री मोहित साहू

श्री मोहित साहू

सदस्य

Default Member Image

श्री रमेश चंद्राकर

सरपंच एवं पदेन सदस्य

हमारा मिशन

मंदिर ट्रस्ट विभिन्न पहलों के माध्यम से समुदाय की सेवा करते हुए आध्यात्मिक विरासत को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है

आध्यात्मिक गतिविधियाँ
सामुदायिक सेवा
शिक्षा
सांस्कृतिक संरक्षण
मंदिर विकास

आध्यात्मिक गतिविधियाँ

ट्रस्ट मंदिर के उद्देश्य के लिए महत्वपूर्ण विभिन्न आध्यात्मिक गतिविधियों का आयोजन और पर्यवेक्षण करता है। ये अनुष्ठान और उत्सव भक्तों को दिव्य के साथ जुड़ने और मां चंडी का आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करते हैं।

दैनिक अनुष्ठान

प्रशिक्षित पुजारियों द्वारा पारंपरिक प्रथाओं का पालन करते हुए प्रातःकालीन और सायंकालीन आरती, अभिषेक और अन्य दैनिक अनुष्ठानों का समन्वय।

त्योहार समारोह

विशेष पूजा, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और सामुदायिक भोज के साथ नवरात्रि, दिवाली और अन्य महत्वपूर्ण त्योहारों के भव्य समारोहों का आयोजन।

ध्यान कार्यक्रम

भक्तों को उनके आध्यात्मिक अभ्यास को गहरा करने में मदद करने के लिए नियमित ध्यान और आध्यात्मिक प्रवचन सत्र आयोजित करना।

सामुदायिक सेवा

ट्रस्ट विभिन्न कल्याणकारी कार्यक्रमों और मानवीय पहलों के माध्यम से स्थानीय समुदाय की सेवा के लिए समर्पित है, जो सेवा की भावना को प्रतिबिंबित करता है।

अन्न सेवा

जाति, धर्म या धर्म की परवाह किए बिना सैकड़ों जरूरतमंद लोगों को पौष्टिक भोजन परोसने वाला दैनिक मुफ्त भोजन वितरण कार्यक्रम।

चिकित्सा शिविर

आसपास के गांवों में वंचित परिवारों के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच शिविर और चिकित्सा सहायता कार्यक्रम।

आपदा राहत

प्राकृतिक आपदाओं के दौरान आपातकालीन प्रतिक्रिया और राहत अभियान, प्रभावित समुदायों को आश्रय, भोजन और आवश्यक वस्तुएं प्रदान करना।

शिक्षा

ट्रस्ट जीवन और समुदायों को बदलने में शिक्षा की शक्ति में विश्वास करता है। बच्चों और वयस्कों को उनकी सीखने की यात्रा में सहयोग करने के लिए कई शैक्षिक कार्यक्रम चलाए जाते हैं।

विद्या मंदिर

वंचित बच्चों के लिए एक मुफ्त शिक्षण केंद्र जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, अध्ययन सामग्री और पौष्टिक भोजन प्रदान करता है।

सांस्कृतिक संरक्षण

ट्रस्ट हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देने के प्रति गहराई से प्रतिबद्ध है, जिससे मंदिर के साथ जुड़ी परंपराओं और रीति-रिवाजों का संरक्षण होता है।

मंदिर विकास

मंदिर ट्रस्ट मंदिर परिसर के विकास और आगंतुकों के अनुभव को बढ़ाने के लिए निरंतर काम कर रहा है।

आधारभूत संरचना सुधार

भक्तों और आगंतुकों के लिए बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए मंदिर परिसर का निरंतर विकास और उन्नयन।

हमारे पवित्र मिशन में शामिल हों

हम भक्तों का स्वागत करते हैं कि वे दान, स्वयंसेवा या हमारी विभिन्न पहलों में भाग लेकर मंदिर के मिशन में योगदान दें। एक साथ, हम आने वाली पीढ़ियों के लिए इस पवित्र स्थान को संरक्षित और विकसित कर सकते हैं।

ट्रस्ट से संपर्क करें