
समिति से ट्रस्ट की यात्रा
तंत्रोक्त प्रसिद्ध उड्डीश शक्ति पीठ श्री चंडी माता मंदिर घुचापाली गांव से लगी पहाड़ी शृंखला पर स्थित है। मां चंडी की पाषाण प्रतिमा प्राकृतिक रूप से निर्मित है। प्रतिमा की ऊंचाई 23 फीट से ज्यादा है। माना जाता है कि यह पूरे विश्व में मां चंडी की एकमात्र स्वयं निर्मित और दक्षिणमुखी विशाल पाषाण प्रतिमा है। मां चंडी की प्रतिमा के संदर्भ में जनश्रुति है कि यह आदि और पौराणिक काल से इस पहाड़ी पर विराजित है। वर्ष 1900 और उसके पहले श्रीचंडी माता की पूजा अर्चना तंत्रोक्त पद्धति से संपन्न होता रहा है। माता सुअरमाल जमींदारी की आराध्य देवी रहीं हैं। आदि और पौराणिक काल से यहां अलग-अलग पद्धतियों से मां की सेवा और पूजा किए जाने का वर्णन है। श्रीचंडी माता की वैदिक रीति से पूजा वर्ष 1950 से शुरू हुई। शुरुआत में एक छोटे से मंदिर से आरंभ यह यात्रा आज एक विशाल परिसर और बड़े तीर्थस्थल तक पहुंची है। मंदिर की व्यवस्था का संचालन 1992 से संचालित श्रीचंडी माता मंदिर समिति के माध्यम से किया जाता रहा है। श्री चंडी माता मंदिर ट्रस्ट की स्थापना वर्ष 2020 में हुई। ट्रस्ट और समिति संचालन के पहले मंदिर में पूजा और अन्य जरूरी व्यवस्था बागबाहरा और घुचापाली के धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों से जुड़े वरिष्ठ जनों के मार्गदर्शन में किया जाता रहा है।
समय के साथ ट्रस्ट ने अनेक चुनौतियों का सामना किया और अपने संसाधनों का अधिकतम उपयोग करके मंदिर को मौजूदा स्थिति तक पहुंचाया है। ट्रस्ट ने मंदिर के विकास के साथ-साथ अनेक सामाजिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया है, जिससे स्थानीय समुदाय को लाभ पहुंचा है।
तंत्रोक्त साधना का केंद्र
श्रीचंडी माता, सुअरमाल जमींदारी की आराध्य और शक्ति साधना की देवी रही, उनकी यहां तंत्रोक्त पद्धति से पूजा की जाती थी। तंत्रोक्त साधना से पूजा के समय यहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित था।
वैदिक पद्धति से पूजा
बागबाहरा के श्री साखाराम साव और नागरिकों ने पं. चंद्रशेखर मिश्रा की पुरोहिती में पहली बार शतचंडी यज्ञ के माध्यम से वैदिक पद्धति की पूजा प्रारंभ करवाई।नवरात्र के मौके पर मड़ई-मेला की शुरुआत हुई तथा महिलाओ ने भी दर्शन पूजन प्रारम्भ किया।
मंदिर समिति का गठन
व्यवस्था संचालन के लिए बागबाहरा और घुंचापाली के वरिष्ठ श्रद्धालुओं ने समिति गठन कर गतिविधियों को आगे बढ़ाना शुरू किया।
मंदिर ट्रस्ट का गठन
मंदिर समिति को कानूनी रूप देते हुए गतिविधियों को भव्य और आधुनिक बनाने छत्तीसगढ़ शासन से पंजीकृत ट्रस्ट का गठन किया गया।