माँ काली, हनुमान जी, और भैरव बाबा के आशीर्वाद से पवित्र स्थलों का एक दिव्य संगम
चंडी माता घुचापाली मंदिर परिसर में मुख्य देवी के अलावा तीन अन्य पवित्र उपमंदिर स्थित हैं। ये उपमंदिर न केवल मंदिर परिसर की आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाते हैं, बल्कि भक्तों को विभिन्न देवी-देवताओं के आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर भी प्रदान करते हैं। माँ काली, हनुमान जी और भैरव बाबा के ये मंदिर अपनी विशिष्ट आध्यात्मिक महत्ता और अनूठी विशेषताओं के लिए जाने जाते हैं।
काली माता, शक्ति की देवी, जिन्हें 'महाकाली' के नाम से भी जाना जाता है, परिसर के एक छोटे से मंदिर में विराजमान हैं। माँ काली को समय, परिवर्तन और शक्ति की देवी माना जाता है। उनका काला वर्ण अनंत अंधकार का प्रतीक है जिसमें से सभी रंग और सृष्टि उत्पन्न होती है। माँ की आंखें भक्तों के हृदय में झांकती हैं और उनके भीतर छिपे बुरे विचारों को नष्ट करती हैं।
माँ काली की पूजा में लाल फूल, सिंदूर और ताम्बूल (पान) अर्पित किए जाते हैं। मंगलवार और शनिवार के दिन विशेष पूजा होती है। अमावस्या को माँ काली की विशेष आराधना की जाती है। भक्त विशेष संकल्प लेकर माँ की आराधना करते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
वीरालय हनुमान मंदिर में भगवान हनुमान की भव्य मूर्ति स्थापित है। हनुमान जी, जिन्हें 'बजरंगबली' और 'महावीर' के नाम से भी जाना जाता है, शक्ति, भक्ति और सेवा के प्रतीक हैं। वे भगवान राम के परम भक्त और सेवक थे। इस मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति उनके वीरता भरे स्वरूप में है, जो भक्तों को साहस और शक्ति प्रदान करती है।
हनुमान जी की पूजा में सिंदूर, तेल और लाल फूलों का विशेष महत्व है। मंगलवार और शनिवार को विशेष पूजा होती है। भक्त हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं और नारियल चढ़ाते हैं। हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए पवनपुत्र स्तोत्र का पाठ भी किया जाता है।
भैरवालय में भगवान भैरव की मूर्ति स्थापित है। भैरव जी, जो भगवान शिव के उग्र रूप हैं, रक्षक देवता के रूप में पूजे जाते हैं। वे अष्ट भैरवों में से एक हैं और काल भैरव के नाम से भी जाने जाते हैं। मंदिर परिसर में उनकी उपस्थिति से बुरी शक्तियों का नाश होता है और भक्तों की रक्षा होती है।
भैरव जी की पूजा में काले तिल, सुरा (मदिरा), उड़द और तेल का विशेष महत्व है। रविवार, मंगलवार और कालाष्टमी को विशेष पूजा होती है। भक्त भैरव अष्टकम् और भैरव स्तोत्र का पाठ करते हैं। उन्हें प्रसन्न करने के लिए 'जय भैरव' मंत्र का जाप भी किया जाता है।
चंडी माता घुचापाली मंदिर परिसर में स्थित सभी देवी-देवताओं के दर्शन करें और उनके आशीर्वाद प्राप्त करें। मां चंडी, माता काली, हनुमान जी और भैरव बाबा की कृपा से आपका जीवन सुखी, समृद्ध और मंगलमय बने।
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