घुंचापाली की पहाड़ी पर स्थित श्री चंडी माता मंदिर देवी भक्तों और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। यह शक्ति पीठ अपनी दिव्यता और चमत्कारिक घटनाओं के लिए प्रसिद्ध है। यहां विराजित मां चंडी की 24 फुट ऊंची दक्षिणाभिमुखी रौद्र प्रतिमा श्रद्धालुओं को अपनी शक्ति और कृपा का दिव्य अनुभव कराती है। मंदिर का प्राकृतिक सौंदर्य, घने जंगलों से घिरी पहाड़ी और समीप स्थित चंडी बांध इस स्थान को एक प्रमुख तीर्थ एवं पर्यटन स्थल बनाते हैं।
इस मंदिर का इतिहास लगभग डेढ़ सौ वर्ष पुराना है और इसे तंत्र साधना का प्रमुख केंद्र माना जाता था। मान्यता है कि मां चंडी की प्रतिमा स्वयं प्रकट हुई थी। इस स्थान को पहले तांत्रिक सिद्धियों के लिए गुप्त स्थल माना जाता था और यह उड्डीस शक्ति पीठ के रूप में प्रसिद्ध हुआ। वर्ष 1950-51 से यहां वैदिक पद्धति से पूजा-अर्चना प्रारंभ हुई, जिसके बाद से यह श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र बन गया।
मंदिर परिसर में स्थित ज्योति गृह, यज्ञ मंडप और विशाल मंदिर भवन इसकी भव्यता को दर्शाते हैं। मंदिर तक पहुँचने के लिए श्रद्धालुओं को घने वृक्षों और पथरीली चढ़ाई से होकर गुजरना पड़ता है, जिससे यह यात्रा और भी आध्यात्मिक बन जाती है। मां चंडी को संकट हरने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है, और यहां आने वाले भक्त उनकी कृपा से स्वयं को सुरक्षित और आत्मबल से परिपूर्ण महसूस करते हैं।
इस मंदिर की एक विशेषता यह भी है कि यहां न केवल भक्तगण आते हैं, बल्कि भालू भी नियमित रूप से दर्शन के लिए आते हैं। आरती के समय अक्सर भालू मंदिर प्रांगण में आकर श्रद्धालुओं के बीच शांत भाव से उपस्थित रहते हैं, मानो वे भी माता की आराधना में सहभागी हों। यह दृश्य भक्तों के लिए आस्था और प्रकृति के अद्भुत सामंजस्य का प्रतीक बन गया है। कुछ श्रद्धालु भालुओं को प्रसाद भी अर्पित करते हैं, और वे बिना किसी भय या आक्रामकता के मंदिर के परिसर में विचरण करते हैं। पिछले एक दशक से भी अधिक समय से यह भालू परिवार मंदिर में आ रहा है, जो इस स्थान को और भी रहस्यमयी एवं चमत्कारी बनाता है।
और जानेंमंदिर में आयोजित होने वाले आगामी उत्सवों और धार्मिक कार्यक्रमों के बारे में जानें
22 सितंबर, 2025 - 02 अक्टूबर, 2025
📅 तिथि: 22 सितंबर से 2 अक्टूबर 2025 शक्ति की उपासना, भक्ति का उल्लास और आत्मशुद्धि का अवसर — शारदीय नवरात्रि इस वर्ष 22 सितंबर (सोमवार) से आरंभ होकर 2 अक्टूबर (गुरुवार) तक पूरे देश में श्रद्धा, भक्ति और उत्सव के साथ मनाई जाएगी। 🕉️ नवरात्रि का महत्व नवरात्रि का शाब्दिक अर्थ है "नौ रात्रियाँ", जो माँ दुर्गा के नौ शक्तिशाली रूपों की उपासना को समर्पित होती हैं। यह पर्व केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं, बल्कि यह आध्यात्मिक जागरण, मानसिक शांति और सामाजिक समरसता का भी प्रतीक है। इन दिनों में देवी के नवदुर्गा रूपों की पूजा की जाती है: शैलपुत्री – शक्ति का आधार ब्रह्मचारिणी – तपस्या और त्याग चंद्रघंटा – वीरता और सौम्यता कुष्मांडा – ब्रह्मांड की सृष्टिकर्त्री स्कंदमाता – मातृत्व और करुणा कात्यायनी – न्याय और धर्म कालरात्रि – अंधकार पर विजय महागौरी – पवित्रता और शांति सिद्धिदात्री – सिद्धियों की प्रदायिनी 🎉 सांस्कृतिक और सामाजिक समरसता का पर्व नवरात्रि के दौरान देशभर में डांडिया, गरबा, कीर्तन, भजन संध्या, रामलीला और देवी झांकियों का आयोजन होता है, जो भारत की सांस्कृतिक विविधता और एकता को दर्शाते हैं। खासकर युवाओं में इस दौरान विशेष उत्साह देखने को मिलता है। 🌺 व्रत और साधना का मार्ग इन दिनों में व्रत रखने वाले भक्त सात्विक भोजन, संयम और ध्यान का पालन करते हैं। यह केवल शारीरिक तपस्या नहीं, बल्कि मानसिक और आत्मिक संतुलन का भी माध्यम है। ऐसा माना जाता है कि इन दिनों की साधना से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।
🙏 आइए करें माँ दुर्गा का आह्वान शारदीय नवरात्रि 2025 के इस पावन अवसर पर आइए हम सभी मिलकर माँ दुर्गा से शक्ति, शांति और समृद्धि की प्रार्थना करें। साथ ही इस पर्व को स्वच्छता, सेवा और सद्भावना के साथ मनाकर समाज में सकारात्मक ऊर्जा फैलाएँ। आपको एवं आपके परिवार को शारदीय नवरात्रि 2025 की हार्दिक शुभकामनाएँ! जय माता दी!
छत्तीसगढ़ के घुचापाली (बागबाहरा) से जुड़ी पहाड़ी शृंखला के बीच मां चंडी का भव्य मंदिर है। आदिकाल से तंत्रोक्त साधना का प्रमुख केंद्र रहे इस तंत्रोक्त उड्डीश शक्ति पीठ श्री चंडी माता मंदिर की छटा यहां के प्राकृति संसाधनों की वजह से निराली हो जाती है। यह पवित्र भूमि अद्वितीय शक्ति और सौंदर्य से परिपूर्ण है।
भक्तों की अगाध श्रद्धा और भक्ति के प्रतीक मां चंडी के दर्शन के लिए लगने वाली भीड़ प्रमाणित करती है कि यह असंख्य भक्तों के अटूट विश्वास का केंद्र है। आस्था और विश्वास फलस्वरूप यह शक्ति पीठ अपनी दिव्यता और पवित्रता को अक्षुण्ण बनाए हुए है।
यहां की आध्यात्मिक ऊर्जा और प्राकृतिक सौंदर्य भक्तों को आस्था, शक्ति और शांति का दिव्य अनुभव कराते हैं।
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