शक्ति की अधिष्ठात्री, दुष्टों का विनाश करने वाली और भक्तों की रक्षक देवी, हमारी माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों में से एक हैं।
चंडी माता, जिन्हें चंडिका के नाम से भी जाना जाता है, देवी दुर्गा का एक रौद्र रूप हैं। वे दुष्टों का संहार करने वाली और भक्तों को आशीर्वाद देने वाली शक्ति की देवी हैं। घुचापाली में स्थित इस शक्तिपीठ में माता चंडी की दिव्य उपस्थिति सदियों से भक्तों को आकर्षित करती रही है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी चंडी ने चंड और मुंड नामक दो राक्षसों का वध किया था, जिससे उन्हें 'चंडी' नाम मिला। वे अपनी भक्तों की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं और उन्हें सभी संकटों से मुक्ति दिलाती हैं।
चंडी माता के दर्शन मात्र से ही मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी कारण हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन माता के दर्शन के लिए आते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
अधिक जानकारीमाँ चंडी की अद्भुत कृपा और आशीर्वाद, जो उनके भक्तों को शरण में आने पर प्राप्त होते हैं
माँ चंडी को संकटमोचन देवी के रूप में पूजा जाता है। उनकी कृपा से भक्तों के जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और हर कठिनाई में शक्ति व साहस मिलता है।
माँ चंडी की उपासना से असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है। घूचापाली मंदिर में माँ की कृपा से अनेक भक्तों को स्वास्थ्य लाभ प्राप्त हुआ है।
विद्या और बुद्धि प्राप्त करने के लिए माता की साधना विशेष लाभदायक मानी जाती है। विद्यार्थी माँ चंडी की आराधना कर सफलता प्राप्त करते हैं।
घूचापाली स्थित माँ चंडी मंदिर में श्रद्धापूर्वक दर्शन करने से आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलती है और जीवन में समृद्धि का आगमन होता है।
माँ चंडी अपने भक्तों को अटूट साहस और आत्मबल प्रदान करती हैं। कठिन परिस्थितियों में उनका स्मरण करने से व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ता है और हर चुनौती का डटकर सामना करने की शक्ति मिलती है।
माँ चंडी की उपासना करने से तांत्रिक प्रभाव, बुरी नजर और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है। घूचापाली मंदिर में हवन और पूजा से जीवन में सकारात्मकता आती है।
माता के विभिन्न स्वरूपों और उनकी महिमा की झलक
माता चंडी की आराधना के विशेष अनुष्ठान और पूजा विधियां
माता चंडी की आराधना भक्ति, श्रद्धा और समर्पण के साथ की जाती है। विशेष रूप से नवरात्रि के नौ दिनों में मां चंडी की पूजा का विशेष महत्व है। यहां कुछ प्रमुख अनुष्ठान और पूजा विधियां दी गई हैं जो मंदिर में की जाती हैं।
प्रातः काल में माता के मंदिर में विशेष आरती होती है। इस समय माता को भोग लगाया जाता है और भक्तगण माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
माता की मूर्ति का पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल) से अभिषेक किया जाता है। इसके बाद चंदन, केसर और इत्र सेमाता का श्रृंगार किया जाता है।
माता के सामने घी या तेल का दीपक जलाना विशेष फलदायी होता है। नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
सूर्यास्त के समय माता की संध्या आरती की जाती है। इस समय माता को भोग लगाया जाता है और भक्तगण माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
अनुष्ठान | समय |
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मंगला आरती | प्रातः 5:00 बजे |
श्रृंगार आरती | प्रातः 7:00 बजे |
भोग आरती | दोपहर 12:00 बजे |
संध्या आरती | सायं 7:00 बजे |
शयन आरती | रात्रि 9:00 बजे |
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माता चंडी के पावन भजन और स्तुतियां जो आपके हृदय को पवित्र करें
माता चंडी का यह प्रसिद्ध भजन शक्ति और भक्ति से परिपूर्ण है। इसे सुनने से मन शांत होता है और माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
चंडी चालीसा का पाठ करने से माता की कृपा बनी रहती है और सभी बाधाएं दूर होती हैं। यह चालीसा माता के गुणों का वर्णन करता है।
इस स्तुति में माता के विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है। इसका पाठ करने से मनुष्य के सभी कष्ट दूर होते हैं।
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