बागबाहरा. घुचापाली की पहाड़ी शृंखला में मां चंडी के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ी है। चैत्र नवरात्र के अवसर पर शक्ति, प्रकृति और आस्था की इस संगम पहाड़ी में माता का जयकारा लगाते श्रद्धालुओं भीषण गर्मी के तापमान को भी ठंडा कर दिया है। मान्यता है कि घुचापाली की यह पहाड़ी में सदियों से मानव और प्रकृति के बीच के रिश्ते की साक्षी रही हैं। यहां की भूमि, हवा और जंगल में अलौकिक ऊर्जा का अहसास यहां पहुंचने वाले माता के भक्तों को हो रहा है। बताते हैं कि इस दिव्य सकारात्मक अनुभूति का स्रोत जगतजननी मां चंडी है। मंदिर और देवी की पूजा पद्धति के जानकार इस अद्भुत धाम को आस्था, तंत्र साधना और प्रकृति का अनूठा संगम बताते हैं।
चंडी माता के मंदिर परिसर स्थित ज्योति गृह में मनोकामना की 5 हजार 351 ज्योति प्रज्जवलित है। यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से भी उनके समर्थकों ने ज्योति प्रज्जवलित कराई है। बताते हैं कि मां के नाम की ज्योति से समूचे मानव समाज पथ प्रकाशित है और सनातन धर्म का ध्वज लेकर श्रद्धालु उस आलोकित मार्ग से सफलता के शिखर को प्राप्त कर रहे हैं। देश-विदेश में अपनी विशिष्ट भक्ति से लोगों के बीच चर्चा में बने रहने वाले भालू भी लोगों के बीच कौतुहल का विषय हैं।
आदि काल से ही मंदिर में मां चंडी की दक्षिणमुखी स्वयंप्रकट प्रतिमा विराजित हैं। मां चंडी का ये धाम प्रारंभ से ही तंत्र साधना का एक प्राचीन केंद्र रहा है। मान्यता है कि यहां कई तंत्र साधकों मनोवांछित फल प्राप्त किए हैं। ट्रस्ट के अध्यक्ष लालचंद जैन ने बताया कि तंत्र साधना की शुरुआत कब हुई, यह कोई नहीं जानता। लेकिन यहां सदियों से साधक गहन ध्यान और तंत्र साधनाओं के माध्यम से अपनी साधनाएं करते आए हैं। यहां आने वाले साधकों का कहना है कि यह स्थान किसी चमत्कार से कम नहीं। ट्रस्ट के दानवीर शर्मा ने बताया कि भारत की प्राचीन तंत्र साधना में प्रकृति का विशेष महत्व रहा है। मां चंडी के इस शक्ति पीठ में प्राकृतिक ऊर्जा और तंत्र विद्या का अद्भुत मेल देखने को मिलता है।
यहां की प्राकृतिक ऊर्जा पर चर्चा करते हुए मीडिया एडवाइजर डॉ नीरज गजेंद्र कहते हैं कि यह स्थान अद्भुत ऊर्जा क्षेत्र के रूप में विख्यात है। यहां की भौगोलिक स्थिति और प्राकृतिक संरचना लोगों के ध्यान केंद्रित करने और शांति का अनुभव करने के लिए आदर्श मानी जाती है। इसे माता के अनुयायी ऊर्जा के एक शक्तिशाली केंद्र के रूप में देखते हैं। उन्होंने बताया कि मंदिर के वेबसाइड chandimata.in के माध्यम से इस बार माता के दिव्य दर्शन कर लोग बड़ी संख्या में आरती पूजन में शामिल हो रहे हैं।
मां चंडी की महिमा केवल यहां के निवासियों तक सीमित नहीं है। इस धाम पर लोगों की आस्था गहरी होती जा रही है और अब देश-विदेश से भक्त यहां मनोकामना लेकर आ रहे हैं। श्रद्धालुओं का कहना है कि वैसे तो हर दिन माता के इस दिव्य धाम में भक्ति की अविरल धारा प्रवाहित होते रहती है, लेकिन नवरात्र के अवसर पर शक्ति, प्रकृति और आस्था के संगम में डुबकी लगाने का अनुभव अविस्मरणीय है। छत्तीसगढ़ के विभिन्न हिस्सों से पहुंचे माता के भक्तों ने बताया कि वे हर साल यहां आते हैं और मां चंडी की कृपा से उनके जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन हुआ है। यहां का वातावरण और मां की शक्ति अद्भुत है।
घुचापाली के नीलकंठ चंद्राकर, नंदकुमार चंद्राकर, पोखराज साहू आदि ने बताया कि यह पावन धरा सिर्फ आस्था का केंद्र ही नहीं है, बल्कि प्रकृति प्रेमियों और पर्यटकों के लिए भी रोमांच और आकर्षण से भरपूर है। यहां की शांत पहाड़ियां, आंखों को सुकून देने वाले सुंदर दृश्य, चंडी बांध का पानी, और प्राकृतिक नजारे आपको एक नई ऊर्जा का अनुभव कराते हैं।
ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने बताया कि मंदिर के संरक्षण के साथ-साथ यहां के प्राकृतिक संसाधनों और वन्यजीवों की सुरक्षा का भी ध्यान रख रहे हैं। यह स्थान आस्था के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण का भी प्रतीक है। मंदिर में रोज हजारों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं और माता की रसोई में दिनभर बड़ी संख्या में लोग प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं। माता के अनेक भक्तों के सहयोग से यहां निशुल्क भंडारे का आयोजन किया गया है। भीड़ को देखते हुए यहां अस्थाई पुलिस चौकी और प्राथमिक उपचार केंद्र की स्थापना की गई है।
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